मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तर्ज- तुम्ही मेरे मंदिर ।
मुझे तूने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है,
मेरे लिए तूने, सबकुछ किया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है । ।
ना मिलती अगर, दी हुई दात तेरी,
तो क्या थी जमाने में, औकात मेरी,
ये बंदा तो तेरे, सहारे जिया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है । ।
ये जायदाद दी है, ये औलाद दी है,
मुसीबत में हर वक्त, इमदाद दी है,
तेरा ही दिया मैंने, खाया पिया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है । ।
मेरा ही नहीं तू, सभी का है दाता,
सभी को सभी कुछ, देता दिलाता,
जो खाली था दामन, तूने भर दिया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है । ।
तेरी बंदगी से मैं, बंदा हूँ मालिक,
तेरे ही करम से मैं, जिन्दा हूँ मालिक,
तुम्हीं ने तो जीने के, काबिल किया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है । ।
मेरा भूल जाना, तेरा ना भुलाना,
तेरी रहमतों का, कहाँ है ठिकाना,
तेरी इस मोहब्बत ने, पागल किया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है । ।
मुझे तूने मालिक, बहुत कुछ दिया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है,
मेरे लिए तूने, सबकुछ किया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है । ।