सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्र पाठ सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र लिरिक्स शिव उवाच शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् । येन मन्त्रग्रभावेण चण्डी जाप: शुभो भवेत् ॥ १॥ न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्। न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २॥ कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् । अत्ति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३॥ गोपनीय प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति […]
strotra sangrah
शिव तांडव स्त्रोत्र लिरिक्स
शिव तांडव स्त्रोत्र लिरिक्स अथ शिवताण्डव स्तोत्र प्रारम्भः जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजगंतुगंमालिकाम्। डमडमडमडमन्निनादवडमर्ययं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ।।१।। जटाकटाहसंभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी- विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्द्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्चल्लाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ।।२।। धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धर स्फुरद्रुगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि, क्वाचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुतिन ।।३।। जटाभुजंगपिगंलस्फुरत्फणामणिप्रभा- कदम्बकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरासुरत्वगत्तरीयमेदुरे, मनो विनोदमभ्दुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ।।४।। ललाटचत्वरज्वलद्धनज्जयस्फुलिंगया, निपीतपंचसायकं नमन्निलिम्पनायकम् । सुधामयूखरेखया विराजमानशेखरं, […]